जिंदगी खुद एक दुर्घटना है।

जिंदगी खुद एक दुर्घटना है,बाकि जो हो रहा है, वो तो महज घटना है।जन्म भी कहाँ आसान था,तुम भी पीड़ा में थे और माँ भी,क्या खून-पसीना तब नहीं बहा था?अब तो महज खून-पसीने की बात होती है,जन्म के वक्त जितनी कहाँ काली रात होती है।जब धरती पर आये थे,तब कितने दर्द में होते थे तुम,दर्द … Continue reading जिंदगी खुद एक दुर्घटना है।

ये दिखावा कोई गलत तो नहीं।

कुछ लोग अच्छे हो जाते है, किरदार अपना अच्छा दिखाते दिखाते। कुछ लोग सही राह पर आ जाते है, दूसरों को राह दिखाते दिखाते। ये दिखावा कोई गलत तो नहीं। कुछ लोग कुछ काम का दे जाते है, ऐसे ही पकाते-पकाते। कुछ लोग किसी को उम्मीद दे जाते है, खुद मुरझाते-मुरझाते। कुछ लोग प्यार का … Continue reading ये दिखावा कोई गलत तो नहीं।

मैं खूद की औकात लिखता हूं ।

मैं आज अपनी बात लिखता हूँ,होती है इन पर्दो में घुटन मुझे ,मैं सरेआम औकात लिखता हूँ ।नहीं परवाह मुझे इन बनावट के उजालों की,मैं धूप में काली रात लिखता हूँ । बहुत कुछ सहा है,बहुत कुछ सहना बाकी है,मैं हालात को अपने हाथ लिखता हूँ ।आसान नही है जिंदगी मेरी,मैं जिंदगी को एक घात … Continue reading मैं खूद की औकात लिखता हूं ।

शहर जहर

एक खूबसूरत शहर था,पर हवाओं में जहर था। एक देहाती गाँव था,रात को सोते तोऊपर होता तारों का छांव था। चकाचौंध कुछ ऐसी दिखी,दिल गाँव मे ,शहर में पाँव था। शहर भी बढ़ चलागाँव की और,अब शहर ही तो थागाँव की गौर। उधोग बड़े उधोग धंधे थे,गाँव कैसे रोकता इन्हेंउस में भी जिम्मेदारीतले दबे कंधे … Continue reading शहर जहर

आत्महत्या

Q.आत्महत्या क्यों गलत है? Ans. जो सारी सम्भावनाओ का ही अंत कर दे, वो निर्णय कभी सही नहीं हो सकता है। "जिंदा हो तो हजारों रास्ते है, मरने से ज्यादा पा लोगे तुम, जी कर यहां💕 बस जो खुद को खत्म करने के लिए हिम्मत जुटाई है, उसे ज़िन्दगी जीने में लगा दो तुम💞💕" (आप … Continue reading आत्महत्या

इतनी शर्म भी ठीक नहीं,,कि मौन दर्शक बने रहें।

इतनी शर्म भी ठीक नहीं यूं तो कहने को सब कुछ कहें पर एक औरत की बर्बादी के मौन दर्शक बनें रहे। जब हर बात को हम खुल कर बोल सकते है बिन दर्द के ही इश्क के दर्द को खुल कर तोल सकते है। फिर ये दर्द क्यों चुप चाप सहे इतनी शर्म भी … Continue reading इतनी शर्म भी ठीक नहीं,,कि मौन दर्शक बने रहें।

हर सुबह यहीं होता है।

हर सुबह यही होता है,,,,,सपना पूरा करने के खातिरहम जल्दी ,नींद से उठ जाते है। हर सुबह यही होता हैं हर सुबह यहीं होता हैकि हम एक जाग देखे ख्वाब के साथ उठते हैउसे मुक्कमल करने के लिए हम एक अनचाहे हालात के साथ उठते हैउसे बदलने के लिए हर सुबह यहीं होता है हर … Continue reading हर सुबह यहीं होता है।

कल और कल के बीच मैं हूँ लेकिन ये आज मेरा नहीं।

रोशनी और परछाई के बीच मैं हूँ लेकिन ये परछाई मेरी नहीं झूठ और सच के बीच मैं हूँ लेकिन ये सचाई मेरी नहीं जमीन और जमीन के बीच मैं हूँ लेकिन ये समंदर मेरा नहीं भविष्य औऱ मंज़िल के बीच मैं हूँ लेकिन ये मुकदर मेरा नहीं पानी और किनारे के बीच मैं हूं … Continue reading कल और कल के बीच मैं हूँ लेकिन ये आज मेरा नहीं।

मैं दर्शक

मै दर्शक , जानु जहां का किनारा वहां बैठ मै ,देखु सब नजारा कोई नहीं हूं, सब कुछ ना आए मुझे कुछ ना चाहूं, सब कुछ की भी ना चाह मुझे बस बैठा हूं, फिर भी दुनिया मुझे कहे आवारा गाली देता हूं, एक सादगी कहां मंजूर मौन रहता हूं,खुद से ज्यादती काहे हजूर यही … Continue reading मैं दर्शक