मुझे तो लगता ये मेरा विचलित मन है।

मंजर ये आज खंजर से कम नहीं, कौन कहता है खाक करने का चिंगारी में दम नही, लौ जलने से शरू हुई,आज आग ये भभक गईं, कब तक हाथ मे रखोगे जिंदगी, आज वो मिट्टी , अंगार बन हाथों से सरक गईं, हाथ दूर रखो वो मिट्टी अब न नम है, काम ही ज्यादा है … Continue reading मुझे तो लगता ये मेरा विचलित मन है।

अंदाज़ा

हर एक दिन अहम है इससे अंदाजा न लगाना हालात काये तो बस कुछ पन्ने हैअभी तो  लिखना बाकी है पूरी किताब काआदते बदलो गे पन्ने बदलने लगेगेलिखने का तरिका बदल जाएगा जनाब काकुछ पन्ने लिख दिये गलत तो क्या हुआये भी तो हिस्सा है कहानी की शरूवात कालिखे शब्द ही मायने रखेगेकोई मतलब नही बनता कागज … Continue reading अंदाज़ा